Bakrid Kyu manaya jata Hai | बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? | ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता है - DearHindi.com - 5s in hindi, 7 qc tools in hindi

19 June, 2023

Bakrid Kyu manaya jata Hai | बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? | ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता है

Bakrid Kyu manaya jata Hai

Bakrid Kyu manaya jata Hai | बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? | ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता है

आज हम इस पोस्ट में जानेगे Bakrid Kyu manaya jata Hai  बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता ? हमें देश के लिए बकरे को कुर्बानी देने के लिए क्यों चुना गया।बकरा ईद कितने दिन बाद है। बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? बकरे की कुर्बानी क्यों की जाती है? मुसलमान लोग बकरा क्यों काटते हैं? बकरीद की शुरुआत कैसे हुई? कुर्बानी ईद 2023 में कितनी तारीख को हैBakrid कब है 2023 में  इत्यादि। 
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*बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

बकरीद का त्यौहार मुस्लिम समुदाय में मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य ईस्लामी धर्म के महत्वपूर्ण घटना को याद करना और मान्यताओं के अनुसार अल्लाह की बाग़दादगी के प्रतीक रूप में बकरे की बलि चढ़ाना है। इसे ईद-उल-अज़हा या ईद-ए-कुर्बान भी कहा जाता है।

*ईद-उल-जुहा किसकी याद में मनाया जाता ? 

ईद-उल-जुहा या बकरीद मुस्लिम समुदाय में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो इस्लामी धर्म की मान्यताओं के आधार पर मनाया जाता है। 

ईद-उल-जुहा को अल्लाह के वफादार भक्त और नबी इब्राहिम (इस्माईल) अलैहिस्सलाम  की याद में मनाया जाता है। इस्लामी धर्म के मान्यताओं के अनुसार, ईसाई दौर में अल्लाह ने ईब्राहिम (इस्माईल) अलैहिस्सलाम को एक परीक्षा के रूप में उनके पुत्र इस्माईल की बलि चढ़ाने का आदेश दिया था।

ईब्राहिम अलैहिस्सलाम और उनके पुत्र इस्माईल (इस्माईल) ने अल्लाह की वफादारी के प्रतीक रूप में बलि के लिए तैयारी की थी। जब ईब्राहिम  अलैहिस्सलाम ने अपने पुत्र को बलि के लिए तैयार किया तो अल्लाह ने उन्हें राहत दिलाई और एक बकरे की बलि दी। इस परम्परा को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय में ईद-उल-जुहा मनाया जाता है।

ईद-उल-जुहा के दौरान, मुस्लिम समुदाय बकरे की बलि चढ़ाती है, नमाज़ पढ़ती है और खुदा की इबादत करती है। बलि चढ़ाई गई जानवर का गोश्त गरीबों और जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता है। इस तरीके से, यह त्यौहार सामाजिक समरसता, दया और साझेदारी को बढ़ावा देता है।

*हमें देश के लिए बकरे को कुर्बानी देने के लिए क्यों चुना गया। 

बकरे को कुर्बानी देने का आह्वान- मुस्लिम समुदाय में प्रचार के दौरान बकरीद उत्सव मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य इस्लामी धर्म में प्रतिष्ठित है और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को इब्राहिम (इस्माईल) अलैहिस्सलाम  की निष्ठा और प्रमाण पत्र की यादगार के लिए दिया जाता है।

इस्लामिक धर्म की विरासत के अनुसार, इब्राहिम (इस्माईल) अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे इस्माईल (इस्माईल) की बलि चढ़ाने की तैयारी की थी, जबकि अल्लाह ने उन्हें एक बकरे की बलि देने की आज्ञा दी थी।  इस परम्परा को याद रखते हुए, मुस्लिम समुदाय में बकरीद के दौरान बकरे की बलि चढ़ाई जाती है।
bakrd-eid kitne din bad hai

*बकरा ईद कितने दिन बाद है? 

बकरा ईद की तारीख है। 
28 जून से 29 जून 2023

*बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? 

बकरीद का त्यौहार, जिसे ईद अल-अधा या ईद उल-अधा के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामी परंपरा में कई कारणों से मनाया जाता है।

1. बकरीद इब्राहिम (अब्राहम) की अल्लाह की आज्ञा का पालन करने के लिए अपने बेटे की कुर्बानी देने की इच्छा को याद करती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, जब इब्राहिम ने अपने अटूट विश्वास का प्रदर्शन किया, तो अल्लाह ने उनके बेटे की जगह कुर्बानी के लिए एक बकरा रख दिया। बकरीद इब्राहिम की भक्ति और अल्लाह के प्रति समर्पण की याद दिलाता है।

2. अल्लाह के आदेशों का पालन करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह मुसलमानों के लिए अपने विश्वास को मजबूत करने और धार्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।

3. मुसलमान बकरीद के दौरान एक जानवर आमतौर पर एक बकरी की कुर्बानी देते हैं और परिवार, दोस्तों और कम लोगों के बीच मांस वितरित करते हैं। यह अधिनियम आशीर्वाद बांटने, जरूरतमंदों की देखभाल करने और समुदाय के भीतर एकता को बढ़ावा देने का प्रतीक है।

4. एकता और भाईचारा बकरीद मुसलमानों के बीच एकता, भाईचारे और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देती है। यह उत्सव में परिवारों, दोस्तों और समुदाय को एक साथ लाता है और अपनेपन और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है।

कुल मिलाकर, बकरीद इब्राहिम की भक्ति का सम्मान करने, विश्वास और आज्ञाकारिता के सिद्धांतों को मजबूत करने, उदारता और साझा करने को बढ़ावा देने और मुस्लिम समुदाय के भीतर एकता और भाईचारे के बंधन को मजबूत करने के लिए मनाई जाती है।

*बकरे की कुर्बानी क्यों की जाती है? 

*बकरे की कुर्बानी क्यों की जाती है?

बकरे की कुर्बानी ईस्लामी धर्म में विशेष महत्व रखती है। इसके पीछे ईस्लामी कथा के अनुसार, प्रमुखतः हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने उनकी निष्ठा की परीक्षा के रूप में उनके पुत्र इस्माईल (इस्माईल) की बलि चढ़ाने का आदेश दिया था। इस्माईल अलैहिस्सलाम की जगह अल्लाह ने एक बकरे को बलि के लिए प्रदान किया। इस आदेश का पालन करते हुए मुस्लिम समुदाय में बकरे की कुर्बानी की जाती है, जिससे उन्हें इब्राहिम अलैहिस्सलाम की निष्ठा और बलिदान की मिसाल की याद दिलाई जाती है।

इस प्रकार, बकरे की कुर्बानी ईद-उल-अज़हा के माध्यम से मुस्लिम समुदाय में धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को संजोती है और एकता, शुक्रगुज़ारी, और सेवा की भावना को बढ़ावा देती है।

*मुसलमान लोग बकरा क्यों काटते हैं? 

बकरे की क़ुर्बानी मुसलमान धर्म का महत्वपूर्ण धार्मिक अभ्यास है। इसे अल्लाह की हुक्म के अनुसार और पूजा के रूप में अदा किया जाता है। क़ुरान और हदीस में इसकी उचित करने की मार्गदर्शन प्रदान की गई है।

बकरे की क़ुर्बानी इब्राहीम (अब्राहम) की कथा के संबंध में है, जब उन्होंने अपनी संकल्पशक्ति का परीक्षण के रूप में अपने पुत्र की बलि देने के लिए तैयारी की थी। 

*बकरीद की शुरुआत कैसे हुई? 

बकरीद, जिसे भी ईद-उल-अज़हा, ईद उल-अज़हा, या ईद उल-जुहा के रूप में जाना जाता है, इस्लामी धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसकी शुरुआत इस्लाम के आदि नबी (पैगम्बर) हजरत मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) द्वारा हुई।

इतने महत्वपूर्ण त्योहार के पीछे एक कथा है। इस कथा के अनुसार, हजरत इब्राहीम (अब्राहम) अलैहिस्सलाम को ख्वाब में एक सपना आया, जिसमें उन्हें उनके पुत्र इस्माईल (इस्माईल) अलैहिस्सलाम की बलि चढ़ाने का आदेश मिला। इब्राहिम अलैहिस्सलाम उस आदेश के अनुसार चले गए और इस्माईल अलैहिस्सलाम को बलि के लिए तैयार करने लगे।

इस बीच, शैतान ने इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अपात्र किया और उन्हें बार-बार बलि करने की सलाह दी। हालांकि, इब्राहिम अलैहिस्सलाम इसे अस्वीकार करते रहे और अपने पुत्र की समर्पण भावना को ध्यान में रखते हुए चलते रहे।

अंततः, जब इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने पुत्र को बलि के लिए तैयार किया, तो एक विशेष मानव द्वारा बलि चढ़ा दी गई थी। इस परिस्थिति में इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने एक विशेष संकेत देखा कि वह अपने पुत्र की बलि के बदले एक जानवर की बलि चढ़ाने का आदेश होगा। इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने यह आदेश माना और अपने पुत्र की जगह एक बकरे की बलि चढ़ाई।

इस प्रकार, बकरीद त्योहार का आयोजन हर साल इस घटना की स्मृति के रूप में किया जाता है और मुस्लिम समुदाय इसे ईद-उल-अज़हा के रूप में मनाता है। इस त्योहार के दौरान, मुस्लिम लोग जानवरों की बलि चढ़ाते हैं, अपने प्रियजनों और गरीबों के साथ भोजन शेयर करते हैं और धार्मिक और सामाजिक उपक्रमों में भाग लेते हैं।

*कुर्बानी ईद 2023 में कितनी तारीख को है?
बकरीद ईद उल-अज़हा 2023 भारत। बुधवार, 28 जून इस शाम तक गुरुवार, 29 जून तक हैं।
 

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