यह “कृष का गाना सुनेगा… दिल ना लिया, दिल ना दिया, ले बेटा…” वाला वायरल वीडियो देखने में भले ही मज़ेदार लगे, लेकिन इसके पीछे एक बच्चे की दर्दनाक और भावनात्मक कहानी छुपी हुई है। सोशल मीडिया पर जिस चीज़ को लोग मीम और एंटरटेनमेंट समझ रहे हैं, असल में वह गरीबी, अकेलेपन और संघर्ष की आवाज़ है।
वह लड़का कौन है?
सोशल मीडिया पर इस लड़के को लोग “धूम” कहकर बुला रहे हैं। कई रिपोर्ट्स के अनुसार उसका असली नाम पिंटू बताया जाता है।
वह झारखंड के जमशेदपुर इलाके का रहने वाला है और बहुत कम उम्र से ही मजबूरी में काम करने लगा।
परिवार और बचपन का दर्द
पिंटू का बचपन सामान्य बच्चों जैसा नहीं रहा।
- उसकी मां का निधन हो चुका है।
- पिता ने दूसरी शादी कर ली, जिसके बाद उसकी जिंदगी और मुश्किल हो गई।
- सौतेली मां से उसे प्यार और सहारा नहीं मिला, बल्कि मार-पीट और तानों का सामना करना पड़ा।
- कई बार उसे खाने के लिए भी पैसे देने पड़ते थे, और पैसे न हों तो घर से निकाल दिया जाता था।
यहीं से उसका बचपन टूट गया।
सड़क की जिंदगी और संघर्ष
घर में जगह न मिलने के बाद वह सड़कों पर रहने लगा।
- कचरा बीनना
- मरे हुए जानवर उठाना
- छोटे-मोटे काम करके दिन काटना
पढ़ाई का सपना वहीं दब गया। न स्कूल, न किताबें, न खेलने की उम्र — बस जिंदा रहने की लड़ाई।
“कृष का गाना सुनेगा” कैसे वायरल हुआ?
एक दिन किसी ने उससे मज़ाक-मज़ाक में कहा, “गाना सुना।”
उसने फिल्म Krrish के गाने “दिल ना दिया” को अपने देसी अंदाज़ में गाया:
“कृष का गाना सुनेगा…
दिल ना लिया, दिल ना दिया…
ले बेटा…”
उसकी बेबाक आवाज़, मासूमियत और अलग स्टाइल ने लोगों का ध्यान खींच लिया।
बस यहीं से वीडियो रील्स और शॉर्ट्स में वायरल हो गया।
वायरल होने की कड़वी सच्चाई
लाखों लोग इस वीडियो पर हँस रहे हैं, शेयर कर रहे हैं, मीम बना रहे हैं —
लेकिन बहुत कम लोग यह सोचते हैं कि:
- उस आवाज़ में भूख छुपी है
- “ले बेटा” के पीछे मां-बाप का सहारा न होने का दर्द है
- और वायरल होने के बाद भी उसकी असल ज़िंदगी नहीं बदली
इंटरनेट किसी को पलभर में फेमस कर सकता है,
लेकिन रोटी, छत, पढ़ाई और सुरक्षा नहीं दे सकता।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि:
- हर वायरल वीडियो के पीछे एक इंसान होता है
- गरीबी मज़ाक नहीं, एक कठोर सच्चाई है
- हमें मीम से आगे बढ़कर संवेदना और मदद की सोच रखनी चाहिए
अगर समाज और सिस्टम ऐसे बच्चों को समय पर सहारा दे,
तो शायद अगला “वायरल चेहरा” सड़क पर नहीं, स्कूल में होगा।


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