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31 December, 2025

New Year से पहले Swiggy, Zomato और Amazon Delivery Staff की राष्ट्रव्यापी हड़ताल: जानिए क्या हैं गिग वर्कर्स की मांगें

New Year से पहले Swiggy, Zomato और Amazon Delivery Staff की राष्ट्रव्यापी हड़ताल:


New Year से पहले Swiggy, Zomato और Amazon Delivery Staff की राष्ट्रव्यापी हड़ताल: जानिए क्या हैं गिग वर्कर्स की मांगे



नए साल से पहले Swiggy, Zomato और Amazon डिलीवरी स्टाफ की राष्ट्रव्यापी हड़ताल: क्या हैं उनकी मांगें?

नए साल 2025 से ठीक पहले देशभर में फूड और ई-कॉमर्स डिलीवरी सेवाओं से जुड़े लाखों गिग वर्कर्स ने हड़ताल का रास्ता अपनाया। Swiggy, Zomato, Amazon, Blinkit, Zepto और Flipkart जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले डिलीवरी पार्टनर्स ने 25 दिसंबर और 31 दिसंबर को ऑल-इंडिया स्ट्राइक का ऐलान किया। इस हड़ताल का सीधा असर महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी देखने को मिला, जहां 50–60% तक डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हुईं।


यह हड़ताल अचानक नहीं हुई, बल्कि गिग वर्कर्स की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं और अनसुनी मांगों का परिणाम है।



हड़ताल का बैकग्राउंड

इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन को तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) का समर्थन मिला। यूनियनों का कहना है कि उन्होंने कई बार कंपनियों और सरकार से बातचीत की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला।


क्रिसमस के दिन ही लगभग 40,000 से अधिक डिलीवरी वर्कर्स ने काम बंद किया, जिससे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में ग्राहकों को भारी परेशानी हुई। न्यू ईयर ईव, जो कि डिलीवरी बिज़नेस का सबसे बड़ा पीक टाइम माना जाता है, उसी दिन हड़ताल होने से यह मुद्दा और गंभीर हो गया।



डिलीवरी वर्कर्स की मुख्य मांगें

डिलीवरी स्टाफ की मांगें सिर्फ सैलरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सम्मान, सुरक्षा और स्थिर भविष्य की गारंटी चाहते हैं।


1. पुरानी और पारदर्शी पेमेंट सिस्टम की बहाली

वर्कर्स का कहना है कि पहले भुगतान मॉडल में प्रति किलोमीटर और प्रति ऑर्डर तय रेट मिलता था। अब एल्गोरिदम आधारित सिस्टम में कमाई घट गई है। उनकी मांग है कि न्यूनतम ₹5–6 प्रति किलोमीटर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।


2. 10-मिनट डिलीवरी मॉडल बंद किया जाए

क्विक कॉमर्स के तहत 10-मिनट डिलीवरी का दबाव डिलीवरी पार्टनर्स को तेज और असुरक्षित ड्राइविंग के लिए मजबूर करता है। इससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।


3. बिना वजह अकाउंट ब्लॉकिंग पर रोक

कई वर्कर्स के अकाउंट बिना नोटिस के ब्लॉक कर दिए जाते हैं, जिससे उनकी आय पूरी तरह रुक जाती है। वे चाहते हैं कि अकाउंट सस्पेंशन से पहले स्पष्ट कारण और अपील की प्रक्रिया हो।


4. सोशल सिक्योरिटी और बीमा

गिग वर्कर्स हेल्थ इंश्योरेंस, दुर्घटना बीमा, पेंशन और भविष्य निधि (PF) जैसी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, ताकि दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में उनका और उनके परिवार का सहारा बना रहे।


5. 8 घंटे का कार्यदिवस

वर्कर्स अक्सर 12–14 घंटे तक काम करने को मजबूर होते हैं। उनकी मांग है कि 8 घंटे का तय कार्यदिवस, ओवरटाइम भत्ता और रेस्ट ब्रेक्स दिए जाएं।


6. एल्गोरिदम में पारदर्शिता

ऑर्डर असाइनमेंट, इंसेंटिव और पेमेंट पूरी तरह ऐप के एल्गोरिदम पर निर्भर है। वर्कर्स चाहते हैं कि इसमें पारदर्शिता हो और भेदभाव खत्म किया जाए।



गिग वर्कर्स की वास्तविक परेशानियां

डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि महंगाई बढ़ने के बावजूद उनकी कमाई घटती जा रही है। पेट्रोल, मोबाइल डेटा, मेंटेनेंस और हेलमेट-जैसे खर्च वे खुद उठाते हैं। बारिश, ट्रैफिक और खराब सड़कों पर समय के दबाव में काम करना उनकी जान जोखिम में डालता है।

कई मामलों में त्योहारों के दौरान भी इंसेंटिव कम कर दिए गए हैं। हड़ताल के दौरान कुछ कंपनियों पर आरोप लगे कि वे बोनस या नए अकाउंट्स एक्टिवेट कर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।



हड़ताल का असर और कंपनियों की प्रतिक्रिया

न्यू ईयर ईव पर फूड डिलीवरी, ग्रॉसरी और ऑनलाइन शॉपिंग बुरी तरह प्रभावित हुई। कई जगहों पर ग्राहकों को ऑर्डर कैंसिलेशन और लंबा वेटिंग टाइम झेलना पड़ा।

कंपनियों की ओर से अब तक कोई बड़ा आधिकारिक बयान नहीं आया है। आमतौर पर ऐसे मौकों पर वे अस्थायी इंसेंटिव या सीमित सर्विस के जरिए स्थिति संभालने की कोशिश करती हैं।



सरकार की भूमिका और आगे की राह

हालांकि सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी फंड की घोषणा की है, लेकिन यूनियनों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। वे न्यूनतम मजदूरी कानून, श्रम सुरक्षा और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार की मांग कर रहे हैं।

अगर इन मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में गिग सेक्टर में और बड़े आंदोलन देखने को मिल सकते हैं।



निष्कर्ष

Swiggy, Zomato और Amazon डिलीवरी स्टाफ की यह हड़ताल सिर्फ नए साल की असुविधा का मुद्दा नहीं है, बल्कि गिग इकोनॉमी के भविष्य से जुड़ा सवाल है। सुविधाजनक डिलीवरी सिस्टम के पीछे लाखों वर्कर्स की मेहनत और जोखिम छुपा है। यह आंदोलन संकेत देता है कि अब गिग वर्कर्स सिर्फ “पार्टनर” नहीं, बल्कि अधिकारों के साथ सम्मानजनक काम की मांग कर रहे हैं।


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