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16 December, 2019

baisakhi festival बैसाखी क्यों मनाया जाता है in Hindi

Baisakhi festival बैसाखी क्यों मनाया जाता है in Hindi 
Baisakhi (vaisakhi) festival बैसाखी क्यों मनाया जाता है-

"Baisakhi" आमतौर पर हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है बैसाखी festival एक मौसमी उत्सव है यह पूरे भारत में और सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में लोगो द्वारा मनाया जाता है। 

इस समारोह में सभी लोग हिस्सा लेते है और यह festival फसल के मौसम के आगमन के लिए मनाया जाता है।  "baisakhi in hindi"

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बैसाखी सिखों का एक मुख्य  त्योहार है बैसाखी सिख धर्म में रहने के खलसा मार्ग को जन्म देता है यह सिख गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों को खलसा में संगठित किया था। 

बैसाखी के दिन लोग नए नए कपडे पहनते है खाने में हलवा और मिठाई बनाते है बैसाखी festival में जगह जगह मेला आयोजित किया जाता है.

 और यह मेला ज्यादातर नदी के किनारे पर आयोजित किया जाता है और इस दिन मेले में बहुत भीड़ होती है लोग इस मेले का आनंद उठाने के लिए हर जगह से आते है.

 सिख समुदाय के लोग इस दिन को विशेष तरीके से मानते है वे गुरूद्वारे जाते है और पवित्र ग्रन्थ पढ़ते है और गुरुओ का आशीर्वाद प्राप्त करते है देश भर में school और office बैसाखी त्यौहार पर बंद कर दिया जाता है।
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बैसाखी बड़ा ही पवित्र त्योहारों में से एक है इसे हमें ख़ुशी ख़ुशी एक साथ मानना चाहिए। 

दोस्तों बैसाखी की आप सभी को  ढेर सारी सुभकामनाए। बैसाखी का नाम मन में आते ही पंजाब की लहराती फसले याद आती है जो की हमारे किसानो की कड़ी मेहनत का नतीजा है। 

बैसाखी ( vaisakhi ) पर्व का इतिहास :-बैसाखी पर निबंध 

यह एक रास्ट्रीय त्यौहार है यह त्यौहार अप्रैल के महीने में मनाया जाता है इसे कृषि पर्व भी कहते है इस महीने किसानो की मेहनत सोने से चमकती हुई गेहू के रूप में प्राप्त होती है तभी गाव और शहरो में जगह जगह ख़ुशी प्रगट करने के लिए मेले लगाये जाते है।
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किसान अपनी फसलो को लहलहाते देख कर झूम उठते है सबसे बड़ी और खास बात यह है की सिखों के गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी के बाद उसके बेटे श्री गुरु गोविन्द जी को जब उनके पिता की गद्दी मिली तब 13 अप्रैल 1699 के दिन एक सभा आयोजित की गई इस सभा का उद्येश था की लोगो के साहस और शक्ति को उजागर किया जाय और 13 अप्रैल 1699 के दिन ही खलसा पंथ की स्थापना की गई। 

यह सब करने का एक बड़ा उद्देश्य था क्योकि मुगलों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे थे दुश्मन के आगे शिर झुकाना नहीं बल्कि साहेश और शक्ति से केवल मुह तोड़ जवाब देना था इसलिए गुरु ने लोगो में शक्ति का संचार किया क्योकि मुग़ल हमारे देश को टुकडो में बाटने में लगे थे  उस समय यह जरुरत थी की लोगो की सोच एक की जाय ताकि दुश्मन हम पर हावी न हो सके।  

समाज तब अलग अलग धर्मो जातियों और सामाजिक स्थतियो के हिसाब से बटा हुआ था उस समय खलसा पंथ की स्थापना रास्ट्रीय एकता को दर्शाता है बैसाखी के दिन गुरु द्वारो पर विशेष उत्सव मनाये जाते है श्रद्धालु लोग गुरुद्वारों में आकर स्नान करते है और गुरु ग्रन्थ साहेब जी को माथा टेकते है। 

बैसाखी का पर्व हमें यह message देता है की सभी धर्मो से बड़ा धर्म इंसानियत का धर्म होता है इसके साथ ही सभी धर्मो को एक करना है और जातिवाद को समाप्त करना है। 

गुरु के अनुसार हम सब एक ही माला के मोती है जिस धागे में हम पिरोये गए है वह है प्रेम का अटूट बंधन इन त्योहारों के माध्यम से यह बंधन और मजबूत होता है। 
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